सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहले ज्योतिर्लिंग का दर्जा इसके ऐतिहासिक महत्व और प्राचीनता के कारण मिला है। यह ज्योतिर्लिंग समुद्र तट पर स्थित है और उसका इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना माना जाता है।

चलिए अब हम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा के बारे में जानते हैं। कैसे भगवान शिव जी सोमनाथ में विराजमान हुए।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग शिव पुराण की कोटि रुद्र संहिता के अनुसार ज्योतिर्लिंग में सबसे पहले सोमनाथ का नाम आता है।

प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चन्द्रमा के साथ किया था। चन्द्रमा को स्वामी के रूप में पाकर दक्ष कन्याएं विशेष शोभा पाने लगी तथा चन्द्रमा भी उन्हें पत्नी के रूप में पाकर निरन्तर सुशोभित होने लगे।

उन पत्नियों में जो रोहिणी नाम की पत्नी थी उसे चन्द्रमा सबसे अधिक प्रेम करते थे जिससे बाकी पत्नियां दुखी रहने लगी।

एक दिन वे सभी अपने पिता प्रजापति दक्ष के पास गई और उन्हें सारी बातें बताई। अपनी पुत्रियों की बातें सुनकर प्रजापति दक्ष दुखी हो गए।

फिर चन्द्रमा के पास जाकर शांति पूर्वक बोले

हे वत्स! तुम निर्मल कुल में उत्पन्न हुए हो।

तुम्हारे आश्रम में रहने वाली जितनी भी स्त्रियां हैं उन सबके प्रति तुम्हारे मन में भेदभाव क्यों है?

तुम किसी को अधिक और किसी को कम प्रेम क्यों करते हो?

अब तक जो किया सो किया अब आगे फिर कभी ऐसा भेदभाव पूर्ण बर्ताव तुम्हें नहीं करना चाहिए क्योंकि उसे नरक देनेवाला बताया गया है।

प्रजापति दक्ष चन्द्रमा को ये बातें बतला कर अपने घर को लौट आये।

उन्हें पूर्ण विश्वास था कि चन्द्रमा अब भेदभाव पूर्ण बर्ताव नहीं करेगा परन्तु चन्द्रमा ने प्रजापति दक्ष की बात नहीं मानी।

वे रोहिणी में इतने आशक्त हो गए कि उन्होंने दूसरी किसी पत्नी का कभी आदर नहीं किया।

इस बात को सुनकर दक्ष दुखी हो, फिर चन्द्रमा के पास गये और उनसे बोले

हे वत्स! मैं पहले भी कई बार तुमसे प्रार्थना कर चुका हूं।

फिर भी तुमने मेरी बात नहीं मानी। इसलिए आज मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हें क्षय रोग हो जाए।

इतना कहते ही चन्द्रमा क्षणभर में क्षय रोग से ग्रसित हो गए।

उनके क्षीण होते ही तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।

यह देख इन्द्र सहित सभी देवता गण और ऋषि महर्षि परमपिता ब्रह्मा जी के पास गए और उन्हें चन्द्रमा के बारे में सारी बातें बतलाई।

तब ब्रह्मा जी ने कहा देवताओं एवं ऋषियों।

जो हुआ सो हुआ उसे पलटा नहीं जा सकता किन्तु उसके निवारण के लिए मैं तुम्हें एक उपाय बताता हूँ।

चन्द्रमा से जाकर आप सभी कह दे कि वह परमहंस नामक शुभ क्षेत्र में जाए और वहां विधि पूर्वक महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की आराधना करें।

अपने सामने शिवलिंग की स्थापना करके वहां चन्द्रमा नित्य तपस्या करें।

इससे प्रसन्न होकर शिव उन्हें क्षय रहित कर देंगे।

तब देवतायों ऋषियों के कहने से चन्द्रमा ने वहां छह महीने तक निरन्तर तपस्या की।

फिर एक दिन भक्तवत्सल भगवान शिव प्रसन्न हो कर उनके सामने प्रकट हुए और चन्द्रमा से बोले ।

हे चंद्र! तुम्हारा कल्याण हो तुम्हारे मन में जो भी अभीष्ट हो वह वर माँगो।

भगवान शिव के मुख से ऐसी बातें सुन कर चन्द्रमा ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा ।

हे देवेश्वर! यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मेरे शरीर से क्षय रोग का निवारण कीजिये।

मुझसे जो भी अपराध हुआ है उसे क्षमा कीजिए।

तब भगवान शिव ने चन्द्रमा से कहा हे चंद्र एक पक्ष में तुम्हारी कला प्रतिदिन क्षीण हो और दूसरे पक्ष में फिर वह निरंतर बढ़ती रहे।

फिर चन्द्रमा ने भगवान शिव की स्तुति की।

चन्द्रमा की स्तुति से प्रसन्न होकर भगवान शिव निराकार रूप से साकार रूप में प्रकट हुए अर्थात लिंग के रूप में प्रकट हो सोमेश्वर कहलाए और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से तीनों लोकों में विख्यात हुए।

ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी मनुष्य सोमनाथ जाकर इस ज्योतिर्लिंग का भक्तिभाव से पूजन करता है, वह चन्द्रमा की तरह क्षय और कोढ़ आदि रोगों से मुक्त हो जाता है।

सोमनाथ मंदिर कहां है?

सोमनाथ मंदिर भारत में गुजरात राज्य, स्थित है। यह पश्चिमी तट पर सौराष्ट्रा नामक क्षेत्र में स्थित है और गिर समुद्र के निकट स्थित है।

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?

सोमनाथ मंदिर को पहुंचने के लिए आप निम्नलिखित विवरणों का उपयोग कर सकते हैं:

  1. वायुयान: सबसे निकट विमान हवाई अड्डा द्वारा सोमनाथ गुजरात के राजकोट और दिव शहर से जुड़ा है। राजकोट और दिव शहर में नियमित वायुसेवा है जो सोमनाथ की ओर जाती है।
  2. रेल: गुजरात रेलवे ने सोमनाथ रेल्वे स्टेशन की सुविधा प्रदान की है जो गुजरात और अन्य राज्यों से संबंधित शहरों से सीधे जुड़ा है।
  3. सड़क: सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा भी जुड़ा है। आप बस, टैक्सी, और खुद का वाहन भी किराये पर ले सकते हैं और सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
  4. ट्रैन: सोमनाथ ट्रैन स्टेशन से मंदिर की दूरी केवल 1 किलोमीटर है और आप ट्रैन के माध्यम से भी सोमनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
    सोमनाथ मंदिर के लिए यात्रा के लिए आपके पास कई विकल्प हैं जैसे वायुयान, रेल, सड़क और ट्रेन।

सोमनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया?

सोमनाथ मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला माना जाता है और इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *